औरत ॰॰॰
इंसान ने
जब भी
ऊँचाईंयों को छूकर
निचे देखा
सहारा देकर
ऊपर चढ़ाते
किसी औरत के
हाथों को पाया ॰॰॰
इंसान ने
जब भी
खाई में गिरकर
ऊपर देखा
धक्का देकर
निचे गिराते
किसी औरत के ही
हाथों को पाया ॰॰॰
« मà¥à¤à¥à¤¯ पà¥à¤·à¥à¤ | ख्वाबों की रानी »
kuchh dino me meri shadi hone wali hai...aap mujhe aisi kavitao se dara rahe ho kaya?
- Uttam Sharma
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/06/2006 01:17:00 pm
हमने तो सुन रखा था कि तारनेवाला और उबारने वाला ईश्वर हैं. आपने तो अनायस ही औरत को ईश्वर बना दिया.
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/06/2006 02:55:00 pm
लगता है आप भुक्त भोगी हैं.... उम्मिद है उपर वाले पेरा से ही इत्तेफाक रखते होंगे...
बाकि तो सब अनुभव का खेल है ना... ना जाने क्या क्या रूप दिखाए जिन्दगी और....
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ पंकज बेंगाणी | 10/06/2006 04:16:00 pm
यथार्थ.
हर वस्तु के दो पहलू होते हैं ।
भाई साहब ईश्वर को छोड़कर अच्छाई और बुराई सबमें होती है ।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/06/2006 05:33:00 pm
अगर यह स्व-अनुभव के आधार पर रचित है तो इतना और बता देते कि गिरे हो कि उठे. अन्यथा तो सबकी अपनी अपनी कथा है. आठ लाईन क्या पूरी किताब लिखी जा सकती है. :)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Udan Tashtari | 10/06/2006 06:13:00 pm
bhai hum to abhi tak utthe he jaa rahe hai, isliye appki Neelee panktio se he sahmat hai, Lal panktia humare man ko nahi bhai. aur dua karta hoon k lal wali panktian naa he bhaye :)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/06/2006 08:30:00 pm
एक और लाइन सुनी थी कहीं..
"हर सफ़ल आदमी के पीछे एक औरत होती है...................
.......................हर असफ़ल आदमी के पीछे दो.."
:)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/07/2006 03:36:00 pm