« मुख्य पृष्ठ | ख्वाबों की रानी » | सिर्फ तुम्हारे लिए ... » | दो क्षणिकाएँ » | कुछ हाइकु ॰॰॰ » | हिन्दुस्तानी नेता » | वो जमीं का टुकड़ा ... » | मैं साहित्यकार हूँ ॰॰॰ » | छुआछुत ॰॰॰ » | मेरा भारत महान है ... » | सिंदूर ... एक ढोंग »

औरत ॰॰॰

इंसान ने
जब भी
ऊँचाईंयों को छूकर
निचे देखा
सहारा देकर
ऊपर चढ़ाते
किसी औरत के
हाथों को पाया ॰॰॰
इंसान ने
जब भी
खाई में गिरकर
ऊपर देखा
धक्का देकर
निचे गिराते
किसी औरत के ही
हाथों को पाया ॰॰॰

kuchh dino me meri shadi hone wali hai...aap mujhe aisi kavitao se dara rahe ho kaya?

- Uttam Sharma

हमने तो सुन रखा था कि तारनेवाला और उबारने वाला ईश्वर हैं. आपने तो अनायस ही औरत को ईश्वर बना दिया.

लगता है आप भुक्त भोगी हैं.... उम्मिद है उपर वाले पेरा से ही इत्तेफाक रखते होंगे...

बाकि तो सब अनुभव का खेल है ना... ना जाने क्या क्या रूप दिखाए जिन्दगी और....

यथार्थ.
हर वस्तु के दो पहलू होते हैं ।

भाई साहब ईश्वर को छोड़कर अच्छाई और बुराई सबमें होती है ।

अगर यह स्व-अनुभव के आधार पर रचित है तो इतना और बता देते कि गिरे हो कि उठे. अन्यथा तो सबकी अपनी अपनी कथा है. आठ लाईन क्या पूरी किताब लिखी जा सकती है. :)

bhai hum to abhi tak utthe he jaa rahe hai, isliye appki Neelee panktio se he sahmat hai, Lal panktia humare man ko nahi bhai. aur dua karta hoon k lal wali panktian naa he bhaye :)

एक और लाइन सुनी थी कहीं..

"हर सफ़ल आदमी के पीछे एक औरत होती है...................
.......................हर असफ़ल आदमी के पीछे दो.."
:)

एक टिप्पणी भेजें

मेरा परिचय

  • नाम : गिरिराज जोशी
  • ठिकाना : नागौर, राजस्थान, India
  • एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
मेरी प्रोफाईल

पूर्व संकलन

'कवि अकेला' समुह

'हिन्दी-कविता' समुह

धन्यवाद

यह चिट्ठा गिरिराज जोशी "कविराज" द्वारा तैयार किया गया है। ब्लोगर डोट कोम का धन्यवाद जिसकी सहायता से यह संभव हो पाया।
प्रसिद्धी सूचकांक :