यह à¤à¤¿à¤à¥à¤ ा à¤à¤¿à¤°à¤¿à¤°à¤¾à¤ à¤à¥à¤¶à¥ "à¤à¤µà¤¿à¤°à¤¾à¤" दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ हà¥à¥¤ बà¥à¤²à¥à¤à¤° डà¥à¤ à¤à¥à¤® à¤à¤¾ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤¿à¤¸à¤à¥ सहायता सॠयह सà¤à¤à¤µ हॠपाया।
क्या जले पर नमक छिडक रहे है,
चोट देने वाले तो पहले से ही काफी।
उनकी लिस्ट पहले से काफी लम्बी थी,
क्या आपका भी शमिल होना बाकी था।।
आप अच्छा लिख रहे है लिखते रहें।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 11/06/2006 08:55:00 pm
कुछ ह्ल्का-फ़ुल्का भी लिखा कीजिए। सच कहूं इन पंक्तियों का मूड कुछ समझ में नहीं आया।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ bhuvnesh sharma | 11/07/2006 02:40:00 am
अंतिम वाला सबसे अच्छा रहा.
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ संजय बेंगाणी | 11/07/2006 09:42:00 am
गुस्से में आकर दीवार पे दे मारा
पहले दिल में दर्द था अब हाथ में है
:-)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Pratyaksha | 11/07/2006 05:13:00 pm
मैने बांसुरी बजाना शुरू कर दिया है
पता चला जब से उसका नाम राधा है
कभी मौका लगे तो ओडियो अपलोड करना, मजा आयेगा बांसुरी सुनने में. :)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Udan Tashtari | 11/07/2006 08:18:00 pm