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लेने दो श्वांस फुरसतिया भाई...

फुरसतियाजी खुद तो फुरसत से बैठे होंगे मगर हमें श्चांस भी ठीक से नहीं लेने देते, इस बारे में मैं हाइकु के जरिये पहले भी शिकायत कर चुका हूँ -
लेने दो श्वांस
फुरसतिया भाई
फुरसत से
मगर उनके कानो पर तो जैसे जूँ भी नहीं रेंगती, हम एक पोस्ट कर जैसे ही थोड़ा सुस्ताने लगे धड़ाम से डाकिये की माफिक आ गये अपनी नई पोस्ट लेकर दरवाजे पर और डाल दिये "निंद में व्यवधान"। हम आँख मलते हुए जैसे ही उनके सामने पंहुचे तो वो मुस्कुराते हुए बोले "क्यों बच्चूवा, अभी दूध के दांत भी नहीं निकले और सीधा हमसे पंगा, अब देख तौनो कैसा नाच नचाता हूँ।" हमारी हालत तो ऐसी हो गई जैसे बरसो से सोये ही नहीं। वो अपनी डाक पकड़ाकर चलते बने और देर तक आँखे फाड़े देखते रहे ॰॰॰
जब उनकी डाक पढ़ी तो हमे हमारी दूसरी गलती का भी एहसास हुआ। पहली गलती तो हम अपना नाम छापने की अनुमति न देकर कर ही चूके थे और फिर दूसरी गलती की उस गलती को मानते हुए सर्वकालिक अनुमति देकर। अब हम तो "ना घर के रहे ना घाट के", एक टिप्पणी के चक्कर में ऐसे पिटे कि पचास जीवों की हत्या का पाप ढ़ोना पड़ रहा है यकिं नहीं होता तो यह देखिए ॰॰॰
खैर हम टिप्पणी के माध्यम से वहाँ अपना संदेश छोड़ आए ताकि कुछ शान तो बची रहे। अब हम आराम से सोने की चेष्ठा कर ही रहे थे की प्रमेन्द्रजी आ धमके फुरसतियाजी की वही पोस्ट लेकर। उन्हें समझाया कि हम यह पोस्ट देख चुके हैं, निचे देखिए हमारी टिप्पणी भी है और मंद-मंद मुस्कुरा दिये।
मगर हमें तो सांप सूंघ गया जब प्रमेन्द्रजी ने हमे बताया की -
"मेरे यहां टिप्‍पणी नही दिख रही है,
लिखा है ''अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है.''
पहली टिप्पणी आप करें"
अरे यह कैसा चमत्कार हुआ प्रभू!!! हमें टिप्पणी दिख रही है और प्रमेन्द्रजी को नहीं। ऐसे तो हमारी शान बचाये रखना तो फुरसतिया के हाथ में रहा यानि मुल्जिम खुद अपने लिए सजा तय करेगा। हम यह कैसे सहन करते, अरे भाई अपना चिट्ठा भी तो है, टिप्पणी ना दिखे तो क्या???
मगर एक आलसी के लिए एक दिन में दो-दो पोस्ट करना बड़ा कठिन कार्य है, फुरसतियाजी कृपया ऐसा जुल्म आगे से ना ढ़ाया करें अपने अनुजो पर और हाँ मजाक-मजाक में कुछ अपमानजनक शब्दो का प्रयोग भी कर गया हूँ तो बुरा ना मानियेगा। अब में क्षमा-वमा नहीं मांगने वाला, क्या कहा - "क्यूँ???"। वो तो आप गुगल गपशप पर इतिहास के पन्नों में ढ़ुंढियेगा ॰॰॰
और हाँ, इस हाइकु को गम्भीरता से लिजियेगा -
लेने दो श्वांस
फुरसतिया भाई
फुरसत से
:) :) :)

बातो ही बातो मे आपने भी खबर लेने वाले की खबर ले डाली। यह शब्‍दो को कम समय मे सजोने का बहुत सुन्‍दर प्रयास है।
फुरसतिया जी के लेख पर टिप्‍पणी करने के लिये मै भी पहुचता हू तो लिखा होता है, पहली टिप्‍पणी आप करे और मै करता भी हू और दो तीन घन्‍टे तक पहले स्‍थान पर रहता हू फिर दो चार बन्‍धु धक्‍कमधका करके मुझे चार स्‍थान नीचे कर देते है। :)

फुरसतीयाजी उर्जावान हैं, इसलिए आप ही धैर्य से काम ले. :)

कोई चाहे फुरसत में हो या हड़बड़ी में सांस लेगा ही. बाकी आप कविराज हो. पुराने जमाने में कविराज को वैद्य कहा जाता था. और यह भी कि जो वैद्य रोगी हो वह भरोसे के काबिल नहीं रहता.तो आप अपने सांस उखड़ने का प्रचार करोगे तो विश्वसीनीयता कम होगी.

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मेरा परिचय

  • नाम : गिरिराज जोशी
  • ठिकाना : नागौर, राजस्थान, India
  • एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
मेरी प्रोफाईल

पूर्व संकलन

'कवि अकेला' समुह

'हिन्दी-कविता' समुह

धन्यवाद

यह चिट्ठा गिरिराज जोशी "कविराज" द्वारा तैयार किया गया है। ब्लोगर डोट कोम का धन्यवाद जिसकी सहायता से यह संभव हो पाया।
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