« मुख्य पृष्ठ | मेरे बिखरे शब्दों की समीक्षा - ३ » | मेरे बिखरे शब्दों की समीक्षा - २ » | जय हास्य, जय नेता!!! - २ » | जय हास्य, जय नेता!!! » | दिवाली आने वाली है ॰॰॰ » | गुरू-चेला संवाद » | गुरूदेव प्रणाम!!! » | एक पाती, समीर भाई के नाम » | मेरे बिखरे शब्दों की समीक्षा - १ » | औरत ॰॰॰ »

फुरसतियाजी क्षमा करें।

फुरसतियाजी क्षमा करें।
आपने "टेलिपेथी" के जरिये जब मुझसे सम्पर्क कर इस पोस्ट के साथ मेरा नाम भी छापने की अनुमति चाही थी तब यदि मैंने आपको अनुमति दे दी होती तो शायद इतना बड़ा विवाद ना खड़ा होता, खैर होनी को कौन टाल सकता है। मैने अनुमति सिर्फ यही सोच कर नहीं दी कि कहीं बाकि रचनाकारों का हृदय आहत ना हो मगर इससे इस प्रकार का विवाद भी खड़ा हो सकता है मुझे उम्मीद ना थी, मुझे क्षमा करें और आगे से बेहिचक मेरा नाम छापे ताकि ब्लॉग जगत में विवादो को कम से कम किया जा सके।
आज मेरी इस छोटी सी गलती की वजह से पूरा ब्लॉग जगत "वहम" नामक लाइलाज बिमारी का शिकार हो चुका है जिसके लिए मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ। मुझसे यह भूल अनजाने में हुई है, मुझे मालूम ही नहीं था कि ब्लॉग जगत इतनी आसानी से "वहम" का शिकार हो सकते है।
अब तो बात और भी घातक हो चुकी है, जाँच में यह सामने आया है कि इस रोग के खिलाफ सभी ब्लॉगरों में रोगप्रतिरोधक क्षमता का अत्यधिक अभाव है। यदि समय रहते समुचित इलाज नहीं किया गया तो इसे रोकना नामुमकिन हो जाएगा, इसलिए आपसे निवेदन है कि आप समस्त ब्लॉग जगत को व्यक्तिगत खत के माध्यम से अवगत करवाएँ कि आपने हमारी तारिफ़ में कसीदे कढ़े थे सो बाकि ब्लॉगर "वहम" के शिकार ना हो।
हमे तो तब और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ जब हमने देखा कि गुरूदेव भी यहाँ शिकार हो चुके हैं और उन्हें यह बिमारी आपने ही सप्रेम भेंट की है। हर कोई अपनी-अपनी कला में उस्ताद है फिर भी यदि प्रतिस्पर्धा हो तो स्वस्थ होनी चाहिए मगर आप तो इस बिमारी का उपयोग अपने प्रतिद्वंदी को "जार्ज बुश" की तरह समूल हटाने की नियत कर रहें है जो सर्वथा अनुचित है।
मैं समझ सकता हूँ कि गुरूदेव जिन आठ लोगों की बात कर रहें है वो कौन है? आप तो सचमुच खिलाड़ी निकले। अब तो मैं आपको दोष भी नहीं दे सकता क्योंकि अनुमति नहीं देकर मैं भी आप से बड़ा दोषी हुआ। मैं अपनी गलती स्वीकार कर सम्पूर्ण ब्लॉगजगत से क्षमा मांगता हूँ और मुझे खुशी होगी अगर आप भी सम्पूर्ण ब्लॉगजगत को इस भयावह बिमारी से मुक्त कराने में कुछ सहयोग करें।
उम्मीद है आप भी हर संभव प्रयास कर सम्पूर्ण ब्लॉग जगत को इस बिमारी से मुक्त कराने में हमारी मदद करेंगे।
सहयोग की आशा के साथ।

फ़ुरसतिया का टोटका अचूक है और आशीष अमोघ . जिसे दे दिया उसका बेड़ा पार (१६ आने) और जिसने झपट कर ले लिया वह भी मस्त(मुगालते में) .

आज पता चला आप मजाक भी अच्छी तरह से लिख सकते हैं.
अच्छा लिखा हैं, पद्य के साथ गद्य भी लिखते रहें.

भैये, अपने बारे में गलतफहमी पालने का हक सबको है.आपको भी और आपके गुरूजी को भी.

एक टिप्पणी भेजें

मेरा परिचय

  • नाम : गिरिराज जोशी
  • ठिकाना : नागौर, राजस्थान, India
  • एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
मेरी प्रोफाईल

पूर्व संकलन

'कवि अकेला' समुह

'हिन्दी-कविता' समुह

धन्यवाद

यह चिट्ठा गिरिराज जोशी "कविराज" द्वारा तैयार किया गया है। ब्लोगर डोट कोम का धन्यवाद जिसकी सहायता से यह संभव हो पाया।
प्रसिद्धी सूचकांक :