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"चौबेजी, छब्बेजी बनने चले, दुबेजी रह गये"

इसे यहाँ पढ़ें

धैर्य से काम ले.
अपना घर खुद ही सजाना है, बाकी पूछोगे तो लोग सलाह भी दे देंगे.
नए घर को समझने लगेंगे तो धीरे-धीरे सब आसान लगने लगेगा.
चौबेजी, छबैजी न सही पर दुबैजी तो नहीं ही बने है. थोड़ा समय समझने में गुजारें.

नये घर में जाने की शुभकामनायें.

आप तो बहुत जल्दी हार मान गये थोड़ा सब्र कीजिए

अरे भाई थोडा सब्र रखो| किराए के मकान (होटल) से अपने मकान मे जाने मे कुछ तो फर्क होता है|सकून से सब काम हो जाएगा, रविवार को मै जब चैट पर आता हूँ तो मुझे बताए, आपकी सारी साइट सैट करा दूंगा| धन्यवाद|

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद और खास तौर पर संजय भाई का जिनकी सहायता से मैं बिना भयभीत हुए सी॰एस॰एस॰ और पी॰एच॰पी फाइलों में परिवर्तन कर अपने नये घर को काफि कुछ अपने हिसाब से संवार सका हूँ।

जीतु भाई, अब रविवार को १-२ घंटे मेरे लिए बचाकर रखियेगा। आपकी मदद थोक में चाहियेगी।

hi, nice blog

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मेरा परिचय

  • नाम : गिरिराज जोशी
  • ठिकाना : नागौर, राजस्थान, India
  • एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
मेरी प्रोफाईल

पूर्व संकलन

'कवि अकेला' समुह

'हिन्दी-कविता' समुह

धन्यवाद

यह चिट्ठा गिरिराज जोशी "कविराज" द्वारा तैयार किया गया है। ब्लोगर डोट कोम का धन्यवाद जिसकी सहायता से यह संभव हो पाया।
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