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दिवाली आने वाली है ॰॰॰

माँ ऐ माँ देख पिछली दिवाली पर काँट-छाँट कर मालिक की उतरन से जो तुमने पेन्ट सिलवाई थी अब घुटनें बाहर झांकने लगे है ॰॰॰ माँ तुम चिन्ता मत करो मैने दर्जी से बात कर ली है दो चड्डियाँ सिल देगा गुल्लु के लिए माँ मैने सुना है फिर से दिवाली आने वाली है ॰॰॰ ऐ माँ मालिक को बोल ना पिछली बार की तरह कोई उतरन ॰॰॰॰

बढिया है.

अच्छा लगा पढ़कर।

अच्छा लिखा है.

है भगवान
क्या इसकी हर दीवाली इसी तरह गुजरेगी ?
बहुत सुन्दर कविराज

अच्छी है ...

एक मार्मिक रचना।
...
मेरे blogपर आपका स्वागत है,
www.yuvaam.blogspot.com

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मेरा परिचय

  • नाम : गिरिराज जोशी
  • ठिकाना : नागौर, राजस्थान, India
  • एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
मेरी प्रोफाईल

पूर्व संकलन

'कवि अकेला' समुह

'हिन्दी-कविता' समुह

धन्यवाद

यह चिट्ठा गिरिराज जोशी "कविराज" द्वारा तैयार किया गया है। ब्लोगर डोट कोम का धन्यवाद जिसकी सहायता से यह संभव हो पाया।
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