गुरूदेव प्रणाम!!!
गुरूदेव प्रणाम!!!
आपकी कुण्डलियों की सरलता देखकर मेरे मन जो भटकाव पैदा हुआ था वो कुण्डलियों की वास्तविक जटिलता से वाकिफ़ होने के बाद शान्त हो गया है, उम्मीद है भविष्य में यह मन कभी इस कदर नहीं भटकेगा। हमारे देश में मरने वाले की अंतिम इच्छा पूरी करने का रिवाज है सो मैने भी "मन" के मरने से पहले उसकी अंतिम इच्छा पूरी करते हुए कुछ प्रयत्न किया है।
हालांकि मैने कुण्डली नियमावली पढ़कर उसके प्रत्येक नियम को ध्यान में रखकर ही इसका निर्माण किया है परन्तु फिर भी आपसे निवेदन है कि जाँच लें और अपने बड़अपन को बरकरार रखते हुए गलतीयाँ हो तो क्षमा कर मार्गदर्शन करें।
यगण मगण तगण रगण जगण भवण नगण सगण
हो आठ गण यति गति ज्ञान, तब कहलाए चरण
तब कहलाए चरण, तुकान्त रोला मात्रा हो
चरण भाव-युक्त व मात्रा पूरी चौबीस हो
बुरा फंसा "कविराज" नचायेंगे तुझको गण
कुण्डलिया बाद में सिखना पहले मगण-यगण
हालांकि इस पोस्ट को आपके ज्ञानवर्धक पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में दे दिया है, परन्तु चिट्ठे पर भी इस नेक उद्देश्य से पुनः लिख रहा हूँ कि भविष्य में इसका पुनरार्वतन न हो और मेरे चिट्ठे पर आने वाले आगन्तुक भी मेरे भावो को समझकर कुण्डलियों में हाथ-पैर मारने से पहले १० बार सोच लें। सचमुच बहुत कठीन है यह विधा।
आपको शत् शत् नमन।
आपका शिष्य
गिरिराज जोशी "कविराज"
हिम्मत क्यों हारते हो आगे से जब भी लिखो केलक्युलेटर साथमें रखना...
:)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/11/2006 01:10:00 pm
मुझे तो लगता है आप सबको नचाने वाले हो।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ bhuvnesh sharma | 10/11/2006 01:24:00 pm
वाकई बहुत नियमबद्ध कुंडलियाँ हैं.
पर नियमों के फेर में क्यों पड़ते हो? हमीं इन बचकाने नियमों को तोड़ कर अपना खुद का नया नियम नहीं बनाएँगे तो और कौन बनाएगा?
मैंने ग़ज़ल के नियम तोड़े, उन्हें व्यंज़ल नाम दिया.
आपसे भी कुछ ऐसा ही दरकार है :)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ रवि रतलामी | 10/11/2006 05:54:00 pm
कई बार नियम मालूम सिर्फ़ इसलिये रहने चाहिये ताकि ज्ञात रहे कहां तोडा़ मरोडा़ जा रहा है. काहे चिन्ता में पड़े हो, बिना नियम के जब काका एक से एक अमर हिट फुलझडियां दे गये, तो हम आप क्या हैं. लगे रहो, बेहतरीन भावों के साथ.
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Udan Tashtari | 10/11/2006 06:24:00 pm
हाँ कविराज,
यह आश्चर्य की ही बात हैं कि इस युग में जबकि तुकान्त कविता करना मुश्किल हो गया है वहीं हमारे समीर जी 'कुण्डली' की रचना कर रहे हैं। मेरी हिम्मत नहीं है कि मैं कुण्डली की रचना करूँ। आप मेरी तरफ से निश्चिंत रहीए।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ शैलेश भारतवासी | 10/11/2006 07:40:00 pm