हाय रे "ब्लॉगस्पॉट", ये तुने क्या किया???
पहले एक "एड" कभी-कभार दिख जाता था "जोर का झटका धिरे से लगे" मगर अपने को तो आज झटका भी जोर से लगा। :(
बहुत पहले एक चिट्ठाकार मित्र ने सलाह दी थी कि "वर्डप्रेस" की ओर कूच कर लो मगर हम थे कि "ब्लॉगस्पॉट" का साथ नहीं छोड़े, हमें "ब्लॉगस्पॉट" पर पूरा भरोसा जो था। मगर आज ऐसे समय में "ब्लॉगस्पॉट" ने अपने हाथ खड़े कर दिए जब मैं अपने चिट्ठे का "भविष्यफल" (और वो भी पूरे एक साल के लिए) जानने को उसकी मदद ले रहा था।
हुआ यों कि गुरूदेव "हिन्दी चिट्ठों का वार्षिक भविष्यफल" बता रहे थे, और "पर्सनल समीक्षा" के लिए फीस थी ५१ टिप्पणियाँ और उनके विवरण सहित निजी ई-मेल।
"इसके सिवाय यदि कोई अपने ब्लाग की पर्सनल समीक्षा चाहता है तो वो पहले हमारे ब्लाग पर ५१ टिप्पणियां कर दें और उनका विवरण दे हमें अलग से ईमेल करें, हम उसको अलग से बतायेंगे."
हमें फीस अनुचित ना लगी सो "एडवांस पैमेंट" करने लगे, मगर जैसे ही हम टिप्पणी क्रमांक - ३१ पर पहूँचे "ब्लॉगस्पॉट" ने हाथ खड़े कर दिये -
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क्यूँ बेटा देख लिया अपना "वार्षिक भविष्यफल" या कुछ और भी पेश करूँ ॰॰॰।
हा हा हा - अरे भाई दिल पे मत लो, ऐसा वैसा कुछ नही है - एक ज़माना था हम भी ब्लॉगस्पाट के आशिक थे, उसने आखरी दिनों मे बेवफाई करना शुरू करदिया तो मजबूरन अपनी को छोड पडोसन को अपनालिया यानी वर्ड प्रेस डाट कॉम को ;) :)
क्योंकि ब्लॉगस्पाट के लिए इस वक्त लाखों आशिक हैं, वो किस किस को दाना डाले? मेरी मानो तो आप भी पडोसन के घर चले आओ हम भी यहीं हैं यानी वर्ड प्रेस डाट कॉम पर :D ;)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/25/2006 06:01:00 pm
पढ कर मजा आ गया, और हंसी तो रूक ही नही रही है। वैसे मुझे लगा कि आप इतने मे ही थक गये पर विश्वास नही हुआ कि एक कवि इतनी जल्दी थक जायेगा। और आपके यहां पर आकर पता चला कि रूकावट के लिये खेद है का बोर्ड चस्पा है।
वैसे गुरू जी से निवेदन है कि आपनी मांग को 31 पर ही सीमित कर दे ताकि मै भी प्रयास करूं क्योकि मेरा लकी नम्बर 31 है।
क्यो गुरू (जी) मै भी हो जाऊ शुरू
:O :O :D :D :) :)
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Pramendra Pratap Singh | 10/25/2006 06:42:00 pm
गुरु ब्लोगस्पॉट को भी छुट्टी मानाने दो ना दिवाली की। क्यों परेशान करते हो।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ bhuvnesh sharma | 10/25/2006 07:07:00 pm
चलो, अब मान लेते हैं कि आपके ५१ की संख्या पूरी हो गई, मगर कुछ लिखते तो टिप्पणी में.
सब प्रसाद एक ही पोस्ट पर अर्पित करने की किसने सलाह दे डाली आपको?
ऐसे हैं तो आप मेहनती और उर्जावान. बस यही उर्जा अपनी लेखनी में लगाये रहें, बेहतरीन परिणाम आपके इंतजार में हैं. :)
शुभकामनायें.
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Udan Tashtari | 10/25/2006 07:56:00 pm
ये ब्लागस्पाट नहीं, नक्षत्र आपके आड़े आये
इक्यावन क्या सौ कमेंट्स भी कुछ भी काम नहीं कर पाये
चिट्ठे का भविष्य अब केवल टिप्पणीकार बचा सकेंगी
व्र्डप्रेस, गूगल सब के सब आत्मसमर्पन करते आये
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ राकेश खंडेलवाल | 10/25/2006 08:30:00 pm