जय हास्य, जय नेता!!! - २
आजकल जिधर देखो बस हास्य कवि पैदा हो रहे हैं अपने व्यंग्य बाण सारे बेचारे नेताओं पर छोड़ रहे हैं कुत्तों से भी बद्दतर देखो नेता हो गया गधा कहा तो गधा भी नाराज हो गया कैसे-कैसे जुल्म ढ़ाते है ये कवि जानवरों से बद्दतर क्या इंसान हो गया? नेताओं पर होते प्रहार देखकर व्यंग्य का चढ़ता बुखार देखकर मेरा मन है आहत हुआ मन मैं प्रश्नों का समावेश हुआ मिले मृत्यु-दंड हास्य कवि को बिल संसद में रख गये तो? या फिर कल को छोड़ राजनीती नेता सारे कवि बन गये तो? प्रश्नों का सिलसिला चलता रहा मैं भी पगडंडी पर बढ़ता रहा जो थोड़ा आगे बढ़े थे नेताजी तुला चढ़े वाह! लगता है नेताजी सिक्कों से तुल रहें है तभी मारे खुशी के इतना फ़ूल रहे हैं मगर यह क्या नेताजी अचानक कहाँ जा रहे हैं? तभी आवाज आई वो देखो कवि महोदय आ रहें हैं कवि का भय इस कदर घर कर गया है बेचारा नेता अब भारत में भी बैचेन हो गया है क्यूँ ना बढ़े उसके माथे पर सिलवटें कवि भी तो हाईटेक हो गया है हे भारतवर्ष के महान नेता मत कर जरा भी चिंता तेरी खोई इज्जत फिर से लोटाऊँगा तुझे फिर से बहतर इंसान बनाऊँगा मगर तुझे यह वादा करना होगा अपने पाप-कर्मों को धोना होगा अपना जीवन कर समर्पित "मेरा भारत महान" बनाना होगा फिर देखना ये हास्य कवि खुद हास्य मूरत बन जायेंगे पर राष्ट्र उद्धारक नेता तुझको हमेशा सर आँखो पे बिठायेंगे निवेदन : यह मेरा प्रथम-प्रयास है सो उचित टिप्पणी कर मार्गदर्शन करें।
कवि का भय
इस कदर घर कर गया है
बेचारा नेता अब
भारत में भी बैचेन हो गया है
क्यूँ ना बढ़े
उसके माथे पर सिलवटें
कवि भी तो हाईटेक हो गया है
यह बात तो सच है कवि हाईटेक हो गया है,
पर नेता न जाने कहाँ खो गया है।
लगा रहता है बस जनता को लूटने में,
ज्ञान की आँखें बंदकर चिर-निद्रा में सो गया है।।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ शैलेश भारतवासी | 10/15/2006 03:36:00 pm
पहली गेंद पर ही छक्का। मार्गदर्शन की और आपको जरूरत मुझे तो नहीं लगता।
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ bhuvnesh sharma | 10/15/2006 04:00:00 pm
बचो कविराज
नेता से इतनी सहानूभूति अच्छी नहीं। यह वो प्राणी है जिसके लिये हर बुरा से बुरा विशेषण भी कम है।
कहीं कविता छोड़कर नेतागिरी करने का विचार तो नहीं? पहले सहानूभूति पैदा कर रहे हो!!!!!
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Sagar Chand Nahar | 10/15/2006 04:05:00 pm
मुझे तो हमारे सागर भाई की बात मे दम नजर आती है:
कहीं कविता छोड़कर नेतागिरी करने का विचार तो नहीं? पहले सहानूभूति पैदा कर रहे हो!!!!!
खैर, लगे रहिये. शुभकामनायें.
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Udan Tashtari | 10/15/2006 06:54:00 pm
bahut bekar likhate ho, khud apane aap ko kaviraj ki upadhi de dali! senior bloggers to maska lagate phirte ho, kuchh gaharai lao apani baton mein...
kaviraj naam rakh lene se koi kavi nahin ho jaata hai! tumahari kavita shallow hain...satahi....famous hone ki bahut jaldi hai tumako...
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ बेनामी | 10/16/2006 06:39:00 pm
शैलेशजी, भुवनेशजी उत्साहवर्धन करने के लिए शुक्रिया।
सागरजी और आदरणीय गुरूदेव आप का मार्गदर्शन रहा तो उसमें भी हाथ मार लेंगे। कम से कम आप लोगों के व्यंग्य बाणों से तो बचा रहूँगा :-)
श्रीमान् Anonymous, "बहुत बेकार लिखते हो" कहकर आपने तो कलेजा ही चीर डाला, बहुत दर्द हुआ। आपको पंसद नहीं आया इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ, भविष्य में अच्छा लिखने का प्रयत्न करूँगा। मैने वरिष्ठ चिट्ठाकारों को सम्मान दिया है ना कि उन्हे मस्का लगाने की चेष्ठा की है फिर भी आपको ऐसा लगा है तो मैं एक पुनः अवलोकन अवश्य करूँगा। मैने अपना नाम "कविराज" नहीं रखा है बल्कि अपने दिल की आवाज को "कविराज" नाम दिया है, और कृपया इसका शाब्दिक अर्थ ना निकालें।
आपने कहा - "मेरी कविता सतही है", यह बात सक्षरशः सही है। मुझे हिन्दी भाषा का अधिक ज्ञान नहीं है लेकिन मैं सिखने को लगातार प्रयत्नरत हूँ। मैं कोशिश करूँगा कि एक दिन आपकी यह शिकायत भी दूर कर सकूँ।
आदर सहित -
गिरिराज जोशी "कविराज"
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ गिरिराज जोशी | 10/16/2006 06:59:00 pm
गिरिराज जी, बहुत बढिया कविता लिखी है। पहली बार हास्य-कविता और वह भी इतनी धांसू। इसलिए एक बार फिर कहता हूँ, लगे रहो कविराज लगे रहो...
- पà¥à¤°à¥à¤·à¤ Pratik Pandey | 10/16/2006 07:37:00 pm